रायपुर के NHMMI अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश, मृतक मरीज के परिजनों को लौटानी होगी बिल की रकम, धर्मार्थ अस्पताल को व्यावसायिक बनाये जाने से मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ ।

#रायपुर के NHMMI अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश, मृतक मरीज के परिजनों को लौटानी होगी बिल की रकम, धर्मार्थ अस्पताल को व्यावसायिक बनाये जाने से मरीजों की जान के साथ खिलवाड़।#रायपुर के विवादास्पद NHMMI अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए गए है। स्वास्थ्य विभाग जल्द ही अपनी रिपोर्ट से छत्तीसगढ़ पुलिस को अवगत कराएगा। इस रिपोर्ट के आधार पर जहाँ पुलिस स्वर्गीय भारती देवी खेमानी की इलाज के दौरान अकाल मौत को लेकर गंभीर धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज करेगी, वही धर्मार्थ अस्पताल को व्यावसायिक बनाये जाने से जुड़े मामले की जांच कर पृथक से एक अन्य FIR भी दर्ज करेगी।सूत्रों के मुताबिक इस FIR में लंबे समय तक MMI ट्रस्ट के अध्यक्ष रहे कारोबारी सुरेश गोयल, ट्रस्टी सेठ राम अवतार अग्रवाल, मौजूदा अध्यक्ष समेत आधा दर्जन डॉक्टरों और एयर एम्बुलेंस सेवा के जिम्मेदार पदाधिकारियों का नाम सुर्ख़ियों में है। यह भी बताया जा रहा है कि मरीजों के जीवन रक्षा के बजाय कर्तव्यों से विमुख होकर अवैध उगाही के रूप में वसूली गई इलाज के बिल की पूरी रकम भी मृतक मरीज के पीड़ित परिजनों को लौटाने की सिफारिश की गई है। बताया जाता है कि इलाज के नाम पर पीड़ित परिवार को 15 लाख से ज्यादा का बिल थमा दिया गया था। यही नहीं मरीज की शिफ्टिंग के दौरान उपलब्ध कराई गई एयर एम्बुलेंस में ना तो वेंटिलेटर था, और ना ही डॉक्टर। मरीज को NHMMI से रायपुर एयरपोर्ट तक ले जाने वाली एम्बुलेंस में भी ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं थी। जबकि ऐसी जरुरी सेवाओं के लिए अस्पताल प्रबंधन ने पीड़ित परिवार से लाखों वसूले थे। इसके अलावा हैदराबाद के संबंधित अस्पताल में मरीज के इलाज के लिए 2 करोड़ो का स्टीमेट भी पीड़ित परिवार को सौंपा गया था।गौरतलब है कि विगत दिनों 45 वर्षीय भारती देवी खेमानी की उस वक़्त मौत हो गई थी, जब उन्हें एयर एम्बुलेंस से रायपुर से हैदराबाद शिफ्ट किया जा रहा था। घटना का वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हुआ था। इसके बाद हरकत में आये प्रशासन ने मामले की जांच के निर्देश दिए थे। बताया जा रहा है कि प्रशासन ने पूरे घटनाक्रम को काफी गंभीरता से लिया था। प्रशासन के सख्त रवैये के चलते इस मामले की जांच जल्द ख़त्म होने से पीड़ितों को न्याय की आस जगी है।सूत्रों के मुताबिक इस मामले की जांच के लिए गठित कमेटी ने मरीज की मौत के लिए NHMMI प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ पुलिस को FIR दर्ज करने की सिफारिश भी की गई है। हालाँकि इलाज के नाम पर लूटपाट की घटना के उजागर होते ही पीड़ित परिवार ने NHMMI के खिलाफ स्थानीय थाने में एक अन्य शिकायत भी दर्ज कराई थी। जानकारी के मुताबिक NHMMI प्रबंधन को इलाज के खर्च के नाम पर पीड़ित परिजनों से वसूली गई पूरी रकम भी विधिवत चुकानी होगी। मामला सेवा के नाम पर मरीजों से अवैध वसूली और इलाज के दौरान भारी लापरवाही से जुड़ा बताया जाता है। इस प्रकरण में NHMMI अस्पताल और ट्रस्ट प्रबंधन के उद्देश्यों पर भी उंगली उठाई गई है।धर्मार्थ सेवा के नाम पर स्थापित किये गए इस अस्पताल को अचानक व्यावसायिक रूप देने और मरीजों से होने वाली अवैध वसूली की रकम से कई ट्रस्टियों के लाभान्वित होने पर कमेटी ने हैरानी जताई है। जांच के दौरान यह तथ्य भी सामने आया है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा धर्मार्थ संस्था के रूप में दर्ज इस संस्थान को कतिपय प्रभावशाली तत्वों ने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए इस अस्पताल को पेशेवर व्यावसायिक संस्थान के रुप में तब्दील कर दिया था।NHMMI से होने वाली आमदनी से कुछ प्रभावशील सदस्य आर्थिक रूप से लाभान्वित होते हुए भी पाए गए। बताया जाता है कि रायपुर के आमापारा इलाके में स्थित एक बिल्डिंग में NHMMI द्वारा डायग्नोसिस यूनिट संचालित की जाती है। यह बिल्डिंग कारोबारी सुरेश गोयल के करीबी और ट्रस्ट से जुड़े सेठ राम अवतार अग्रवाल की बताई जाती है।जानकारी के मुताबिक इस बिल्डिंग में नियमों के मुताबिक, ना तो मरीजों की रक्षा के लिए फायर फाइटिंग सिस्टम है, और ना ही अन्य आवश्यक औपचारिकताएंपूर्ण है। बावजूद इसके NHMMI प्रबंधन इस ट्रस्टी को उपकृत करने के लिए प्रतिमाह लाखों की रकम खर्च कर रहा है।यही नहीं अस्पताल के कई विकास कार्यों में ट्रस्टियों को उपकृत किये जाने की जानकारी भी सामने आई है। बहरहाल, NHMMI प्रबंधन सवालों के घेरे में है। छत्तीसगढ़ ने इस मामले को लेकर प्रबंधन के सदस्यों से संपर्क भी किया। लेकिन कोई प्रति-उत्तर नहीं प्राप्त हो सका। फ़िलहाल, सेवा के नाम पर मरीजों के साथ लूटपाट जैसी वारदातों को रोकने के लिए रायपुर जिला प्रशासन की सख्ती से डॉक्टरी पेशे को उद्योग-धंधा बनाने वाले पूंजीपतियों में हड़कंप है।

महापौर Aijaz Dhebar ऐसा गजब तो न करें ! दीपावली पर तो गरीबों को माफ करें !

महापौर Aijaz Dhebar ऐसा गजब तो न करें!
दीपावली पर तो गरीबों को माफ करें !😥

दीपावली के पावन अवसर पर हर सनातनी का घर प्रकाशमय होता है,घर घर दीपक जलता है! इस मौके पर गरीब तबके का श्रमजीवी आदमी भी सोचता है कि वह भी प्रभु राम के आगमन का पर्व दीपावली खुशियों के साथ मना ले! इसके लिए वह ईमानदारी के साथ दो पैसे कमाने की जुगत में लगा रहता है।
हम देखते हैं कि त्योहार के आसपास सड़क किनारे रंगोली,दिया बाती,झाड़ू, धानझालर,फल,लाई,मुर्रा,पूजन सामग्री आदि बेचने वाले अपनी चारदिनी दुकान सजा लेते है। उनकी मंशा यही रहती है कि त्योहार के चलते चार पैसे कमाकर अपनी दिवाली भी अच्छे से मना ले! प्रभु राम की आगमन पर अपने घर के दरवाजे पर दीपक जला ले!

परंतु आज रायपुर में मुझे जो दृश्य देखने को मिला हुआ बेहद ही दुखद था। मुझे महापौर एजाज ढेबर जी के नेतृत्व वाली कांग्रेस शासित नगर निगम रायपुर का रवैया इन गरीबों के प्रति बेहद ही असंवेदनशील दिखा। हुआ यू की मैं डंगनिया चौक के पास पूजन सामग्री लेते खड़ा हुआ था। उसी वक्त नगर निगम की एक गाड़ी पास में रुकी! उस गाड़ी से उतरे चार-पांच लोगों ने दुकानदारों को धमकाना शुरू कर दिया और कहा सब का 5- 5 हजार फाइन लगेगा। यह सुनकर दुकानदारों ने हाथ जोड़े कहा ऐसा मत करो साहब…फिर पता नहीं किनारे क्या बातचीत हुई वे चले गए!
मैंने दुकानदार से पूछा कि कितना फाइन काटा है? तो उसने कहा थोड़ा निवेदन किया है! इसलिए अभी रसीद नहीं काटे है! थोड़ी देर में आते हैं कह कर गए हैं। पैसे तो लेकर जाएंगे ही। गलती हमारी ही है जो त्योहार में चार पैसे कमाने के लालच में परिवार के साथ दुकान सजा लेते है! 😥

उसकी बातें सुनकर मैं असहज हो गया! बहुत पीड़ा हुई! मैने तुरंत ही सांसद Brijmohan Agrawal जी के विशेष सहायक Manoj Shukla जी को फोन लगाकर इस संबंध में जानकारी दी और आग्रह किया कि महापौर एजाज ढेबर ,कमिश्नर से बात करके कम से कम दीपावली के अवसर और गरीबों पर जुर्माना न लगाने तथा निगम कर्मचारियों को अवैध वसूली न करने की सख्त हिदायत भी दे!
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सरकारे छत्तीसगढ़ सैय्यद शेर अली आगा बंजारी बाबा रायपुर छत्तीसगढ़ के उर्स मुबारक के मौके पर 27-10-2024 को सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक दरगाह परिसर में रक्तदान शिविर लगाया जा रहा है ।

सरकारे छत्तीसगढ़ सैय्यद शेर अली आगा बंजारी बाबा रायपुर छत्तीसगढ़ के उर्स मुबारक के मौके पर 27-10-2024 को सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक दरगाह परिसर में रक्तदान शिविर लगाया जा रहा है जिससे जरूरतमंद मरीज़ों की मदद की जा सके रक्तदान करने वाले भाइयों बहनो की हौसला अफजाई के लिए सड़क सुरक्षा हेतु एक हेल्मेट और एक वायरलेस ब्लूटूथ दिया जा रहा है आप सभी ज्यादा से ज्यादा तादाद में पहुचकर इस रक्तदान शिविर को कामयाब बनाए

रक्तदान शिविर में नाम रजिस्टर्ड कराने हेतु इस नंबर पर सम्पर्क करे
फाउंडर मेंबर
केजीएन ब्लड डोनर ग्रुप
सैफ रशिद 7867978632

इन्तेजामिया मेंबर्स

सज्जादानशिन दरगाह सैय्यद शेर अली आगा
मोहम्मद नईम रिजवी अशरफ़ी साहब

राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय हुसैनी सेना
राहिल रऊफ़ी

राष्ट्रीय महासचिव राष्ट्रीय हुसैनी सेना
रफीक गौठीया

फाउंडर मेंबर 36 गढ़ मुस्लिम महासभा
शेख अफसर ( अच्छु )

बंजारी वाले हजरत के उर्स मे आने की दावत दी गई मुख्यमंत्री जी को ।

💐बंजारी वाले हजरत के उर्स मे आने की दावत दी गई मुख्यमंत्री जी को💐आज रात मुख्यमंत्री निवास मै माननीय मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी से सौजन्य भेंट कर हजरत सैय्यद शेर अली आगा र अ रायपुर के 43 वे उर्स पाक 26 अक्टूबर से 1 नवंबर तक मनाया जाएगा जिसमें प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री जी को दरगाह ट्रस्ट व सज्जादा नशीन नईम अशरफी रिजवी साहब, मिर्ज़ा एजाज बेग, राहिल रउफ़ी, इशराक रिजवी,मो कासम, शेख अफसर ने दावत नामा दिया उर्स शरीफ मै आने का जिसे माननीय मुख्यमंत्री जी ने दावत नामा स्वीकार किया !

सरकारी कर्मचारियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, अब सबूत की जरूरत नहीं-सुप्रीम कोर्ट हाल ही में एक गंभीर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना एक अहत फैसला सुनाया है ।

#सरकारी कर्मचारियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, अब सबूत की जरूरत नहीं-सुप्रीम कोर्ट हाल ही में एक गंभीर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना एक अहत फैसला सुनाया है। सरकारी कर्मचारियों के लिए कोर्ट का ये फैसला काफी जरूरी फैसला है। कोर्ट के इस फैसले के मुताबिक चल रहे इस मुद्दे पर अब सबूत की जरूरत नहीं पड़ने वाली है। आइए आप भी नीचे खबर में विस्तार से जान लें कि आखिर क्या है ये पूरा मामला और सुप्रीम कोर्ट ने इस पर क्या विशेष टिप्पणी दी है। supreme court -सरकारी कर्मचारियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, अब सबूत की जरूरत नहीं देश के कर्मचारियों से संबंधित एक मामला हाल ही में सामने आ रहा है जिस पर कि सर्वोच्च न्यायलय (supreme court ) की ओर से एक अहम फैसला सुनाया गया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की ओर से भ्रष्टाचार पर चल रहे एक मामले पर जजमेंट पास किया गया है। इस मामले के तहत जस्टिस एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि किसी सरकारी कर्मचारी को भ्रष्टाचार विरोधी कानून के तहत दोषी ठहराने के लिए प्रत्यक्ष सबूत होना अनिवार्य नहीं है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को कानून के कटघरे में लाने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने की बात पर गौर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार के एक मामले में सरकारी कर्मचारी (corrupt public servants) को परिस्थितिजन्य आधार पर अवैध रिश्वत के आरोप में दोषी ठहराया जा सकता है। ये पूरी तरह न्यायसंगत ही होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बातइस मामले पपर आगे सुप्रीम कोर्ट की पीठ का ये कहना है कि मृत्यु या अन्य कारणों से शिकायतकर्ता का प्रत्यक्ष साक्ष्य भले ही उपलब्ध न हो इसके बावजूद कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत लोक सेवक यानि कि सरकारी कर्मचारी को दोषी ठहराया जा सकता है। मामले के जस्टिस एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रह्मण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना भी शामिल हैं।आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पीठ ने कहा कि भ्रष्टाचार के उन मामलों में, जिनमें लोक सेवक आरोपी हो, तो शिकायतकर्ताओं और अभियोजन पक्ष को ईमानदारी से प्रयास करना चाहिए कि भ्रष्ट लोक सेवक दंडित हों। जिससे कि प्रशासन से भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सके। शासन को प्रभावित करने में भ्रष्टाचार की भूमिका केवल इतना ही नही पीठ ने ये टिप्पणी दी है कि शासन को प्रभावित करने में भ्रष्टाचार (corruption in India) की बड़ी भूमिका रहती है। इसके कारण ईमानदार कर्मचारी का मनोबल भी कम होता है। मामले में सुनवाई के दौरान अदालत ने एबी भास्कर राव बनाम सीबीआई के फैसले का उदाहरण भी दिया। मामले में फैसला देते हुए पीठ ने कहा कि प्रतिवादी की मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता कि मामले में उदारता दिखाई जाए। लोक सेवकों द्वारा भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या बन गया है। भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर राष्ट्र के विकास की गतिविधियों को धीमा कर देता है। इसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ता है।अब ये तो गौरतलब है कि साल 2019 में 3 जजों की पीठ ने इस मामले को संविधान पीठ के सपुर्द करने के लिए चीफ जस्टिस को भेजा था। 3 जजों की पीठ ने कहा था कि मामले में 2015 के शीर्ष कोर्ट के फैसले में इस बारे में असंगति है। उस फैसले में कहा गया था कि यदि लोकसेवक के खिलाफ प्राथमिक सबूत की कमी है तो उसे बरी होना चाहिए।