लाइसेंस नहीं होने पर ट्रैफिक विभाग को दो, यही है सच्चाई ।
आम जनता मजबूरी में देती है रिश्वत, क्यूकी बिना रिश्वत दिए परिवहन विभाग से नहीं करा सकते कोई काम ॥
रायपुर — की जनता से सरकारें बड़े बड़े दावे करती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही सामने देखने को मिलता है, जी हां ऐसा कुछ नजारा देखने को मिला, राजधानी रायपुर के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय रायपुर में लाइसेंस बनाने को लेकर एक बड़ा मामला सामने आया है एक नहीं दो नहीं बल्कि चार-चार लोग एक साथ यह शिकायत कर रहे हैं कि लर्निंग लाइसेंस बनाने के लिए हमसे एक ₹1000 की रिश्वत मांग रहे हैं और नहीं देने पर अधिकारी से बात करो या फिर पैसे दो इसी शर्त पर लाइसेंस बनेगा अब देखने वाली बात ये है कि परिवहन विभाग ने जब ऑनलाइन का सिस्टम बनाया है तो फिर इन रिश्वतखोरों का यहां पर दुकान किस तरह से लग रही है सूत्रों की माने तो हर रोज इन रिश्वतखोरों को लाखों रुपए का चढ़ावा चढ़ाया जाता है और जो चढ़ावा चढ़ाते हैं उससे कोई भी सवाल जवाब नहीं किया जाता नहीं उसे ट्रायल लिया जाता है, साफ शब्दों में कहा जाए तो रिश्वत दो लाइसेंस लो,का फार्मूला फिट बैठता है, जो रिश्वत नहीं देते उसे ट्रायल में फेल कर दिया जाता है या फिर कोई ना कोई कमी निकाल कर परेशान किया जाता है इन सब का चक्कर काट काट कर भोली भाली जनता परेशान होकर चढ़ावा चढ़ाने को मजबूर हो जाता है, आप को बता दूं कि लाइसेंस नहीं होने पर आए दिन ट्रैफिक विभाग परेशान करता है, जिसे लेकर जनता मजबूर होकर रिश्वत देकर लाइसेंस बनवाने के लिए मजबूर होते है, भाजपा शासित राज्य में परिवहन विभाग का कारनामा घोर निंदनीय है क्योंकि भाजपा का यह नारा था ना हम खाएंगे ना खाने देंगे फिर भाजपा शासित राज्य में ही इस तरह का रिश्वतखोरी देखने को मिल रहा है परिवहन विभाग में यह बात कोई नई नहीं है इससे पहले भी आप सब ने कई खबर पढ़ी होगी कि लाइसेंस बनाने के नाम पर लोगों को किस तरह से लूटा जाता है लोग चक्कर काट कर किस तरह परेशान हो जाते हैं यह बात किसी से छुपी नहीं है, सिर्फ लाइसेंस की बात नहीं है परिवहन विभाग में बिना रिश्वत दिए आप कोई काम नहीं करा सकते आप सब अच्छे से जानते है, अब देखने वाली बात होगी कि खबर प्रकाशित होने के बाद भाजपा की विष्णुदेव सरकार जिम्मेदारों पर क्या कार्यवाही करती है ।