प्रदेश में फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी हासिल करने वाले कर्मचारियों की फेहरिस्त काफी लंबी है और ऐसे अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ मंत्रालय सहित अलग-अलग विभागों में पुख्ता दस्तावेजों के साथ शिकायतें भी खूब हुई हैं लेकिन विभाग के अधिकारी कर्मचारी ऐसे फर्जी कर्मचारियों को बचाने में भी कोई कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं यही वजह है कि चाहे जाति प्रमाण पत्र का मामला हो या फर्जी दस्तावेजों का मामले का खुलासा होने के बाद भी करवाई नही हो पा रही है । अब ऐसे मामले कोर्ट की शरण में पहुंच रहे हैं ऐसे ही एक मामले में समाज कल्याण विभाग के संयुक्त संचालक पंकज कुमार वर्मा के फर्जी दस्तावेजों के सहारे हुई नियुक्ति को लेकर मामला न्यायालय पहुंचा जिसके बाद कोर्ट के निर्देश पर अब रायपुर के पुरानी बस्ती थाने में मामला दर्ज हुआ है । पंकज कुमार वर्मा पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरी हथियाने का आरोप है जिसके अनुसार उन्होंने जिस फिजीयोथैरेपिस्ट कोर्स की डिग्री के आधार पर नौकरी हासिल की है वह डिग्री उन्होंने कभी हासिल ही नही की है । 3.5 वर्ष की इस डिग्री कोर्स के लिए पंकज कुमार वर्मा ने प्रवेश अवश्य लिया था किंतु 2 साल में ही उन्होंने इस कोर्स को अधूरा छोड़ दिया था और बाद में इसी के फर्जी दस्तावेज तैयार कर नौकरी हासिल कर ली ।