महापौर Aijaz Dhebar ऐसा गजब तो न करें ! दीपावली पर तो गरीबों को माफ करें !

महापौर Aijaz Dhebar ऐसा गजब तो न करें!
दीपावली पर तो गरीबों को माफ करें !😥

दीपावली के पावन अवसर पर हर सनातनी का घर प्रकाशमय होता है,घर घर दीपक जलता है! इस मौके पर गरीब तबके का श्रमजीवी आदमी भी सोचता है कि वह भी प्रभु राम के आगमन का पर्व दीपावली खुशियों के साथ मना ले! इसके लिए वह ईमानदारी के साथ दो पैसे कमाने की जुगत में लगा रहता है।
हम देखते हैं कि त्योहार के आसपास सड़क किनारे रंगोली,दिया बाती,झाड़ू, धानझालर,फल,लाई,मुर्रा,पूजन सामग्री आदि बेचने वाले अपनी चारदिनी दुकान सजा लेते है। उनकी मंशा यही रहती है कि त्योहार के चलते चार पैसे कमाकर अपनी दिवाली भी अच्छे से मना ले! प्रभु राम की आगमन पर अपने घर के दरवाजे पर दीपक जला ले!

परंतु आज रायपुर में मुझे जो दृश्य देखने को मिला हुआ बेहद ही दुखद था। मुझे महापौर एजाज ढेबर जी के नेतृत्व वाली कांग्रेस शासित नगर निगम रायपुर का रवैया इन गरीबों के प्रति बेहद ही असंवेदनशील दिखा। हुआ यू की मैं डंगनिया चौक के पास पूजन सामग्री लेते खड़ा हुआ था। उसी वक्त नगर निगम की एक गाड़ी पास में रुकी! उस गाड़ी से उतरे चार-पांच लोगों ने दुकानदारों को धमकाना शुरू कर दिया और कहा सब का 5- 5 हजार फाइन लगेगा। यह सुनकर दुकानदारों ने हाथ जोड़े कहा ऐसा मत करो साहब…फिर पता नहीं किनारे क्या बातचीत हुई वे चले गए!
मैंने दुकानदार से पूछा कि कितना फाइन काटा है? तो उसने कहा थोड़ा निवेदन किया है! इसलिए अभी रसीद नहीं काटे है! थोड़ी देर में आते हैं कह कर गए हैं। पैसे तो लेकर जाएंगे ही। गलती हमारी ही है जो त्योहार में चार पैसे कमाने के लालच में परिवार के साथ दुकान सजा लेते है! 😥

उसकी बातें सुनकर मैं असहज हो गया! बहुत पीड़ा हुई! मैने तुरंत ही सांसद Brijmohan Agrawal जी के विशेष सहायक Manoj Shukla जी को फोन लगाकर इस संबंध में जानकारी दी और आग्रह किया कि महापौर एजाज ढेबर ,कमिश्नर से बात करके कम से कम दीपावली के अवसर और गरीबों पर जुर्माना न लगाने तथा निगम कर्मचारियों को अवैध वसूली न करने की सख्त हिदायत भी दे!
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सरकारे छत्तीसगढ़ सैय्यद शेर अली आगा बंजारी बाबा रायपुर छत्तीसगढ़ के उर्स मुबारक के मौके पर 27-10-2024 को सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक दरगाह परिसर में रक्तदान शिविर लगाया जा रहा है ।

सरकारे छत्तीसगढ़ सैय्यद शेर अली आगा बंजारी बाबा रायपुर छत्तीसगढ़ के उर्स मुबारक के मौके पर 27-10-2024 को सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक दरगाह परिसर में रक्तदान शिविर लगाया जा रहा है जिससे जरूरतमंद मरीज़ों की मदद की जा सके रक्तदान करने वाले भाइयों बहनो की हौसला अफजाई के लिए सड़क सुरक्षा हेतु एक हेल्मेट और एक वायरलेस ब्लूटूथ दिया जा रहा है आप सभी ज्यादा से ज्यादा तादाद में पहुचकर इस रक्तदान शिविर को कामयाब बनाए

रक्तदान शिविर में नाम रजिस्टर्ड कराने हेतु इस नंबर पर सम्पर्क करे
फाउंडर मेंबर
केजीएन ब्लड डोनर ग्रुप
सैफ रशिद 7867978632

इन्तेजामिया मेंबर्स

सज्जादानशिन दरगाह सैय्यद शेर अली आगा
मोहम्मद नईम रिजवी अशरफ़ी साहब

राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय हुसैनी सेना
राहिल रऊफ़ी

राष्ट्रीय महासचिव राष्ट्रीय हुसैनी सेना
रफीक गौठीया

फाउंडर मेंबर 36 गढ़ मुस्लिम महासभा
शेख अफसर ( अच्छु )

बंजारी वाले हजरत के उर्स मे आने की दावत दी गई मुख्यमंत्री जी को ।

💐बंजारी वाले हजरत के उर्स मे आने की दावत दी गई मुख्यमंत्री जी को💐आज रात मुख्यमंत्री निवास मै माननीय मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी से सौजन्य भेंट कर हजरत सैय्यद शेर अली आगा र अ रायपुर के 43 वे उर्स पाक 26 अक्टूबर से 1 नवंबर तक मनाया जाएगा जिसमें प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री जी को दरगाह ट्रस्ट व सज्जादा नशीन नईम अशरफी रिजवी साहब, मिर्ज़ा एजाज बेग, राहिल रउफ़ी, इशराक रिजवी,मो कासम, शेख अफसर ने दावत नामा दिया उर्स शरीफ मै आने का जिसे माननीय मुख्यमंत्री जी ने दावत नामा स्वीकार किया !

सरकारी कर्मचारियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, अब सबूत की जरूरत नहीं-सुप्रीम कोर्ट हाल ही में एक गंभीर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना एक अहत फैसला सुनाया है ।

#सरकारी कर्मचारियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, अब सबूत की जरूरत नहीं-सुप्रीम कोर्ट हाल ही में एक गंभीर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना एक अहत फैसला सुनाया है। सरकारी कर्मचारियों के लिए कोर्ट का ये फैसला काफी जरूरी फैसला है। कोर्ट के इस फैसले के मुताबिक चल रहे इस मुद्दे पर अब सबूत की जरूरत नहीं पड़ने वाली है। आइए आप भी नीचे खबर में विस्तार से जान लें कि आखिर क्या है ये पूरा मामला और सुप्रीम कोर्ट ने इस पर क्या विशेष टिप्पणी दी है। supreme court -सरकारी कर्मचारियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, अब सबूत की जरूरत नहीं देश के कर्मचारियों से संबंधित एक मामला हाल ही में सामने आ रहा है जिस पर कि सर्वोच्च न्यायलय (supreme court ) की ओर से एक अहम फैसला सुनाया गया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की ओर से भ्रष्टाचार पर चल रहे एक मामले पर जजमेंट पास किया गया है। इस मामले के तहत जस्टिस एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि किसी सरकारी कर्मचारी को भ्रष्टाचार विरोधी कानून के तहत दोषी ठहराने के लिए प्रत्यक्ष सबूत होना अनिवार्य नहीं है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को कानून के कटघरे में लाने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने की बात पर गौर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार के एक मामले में सरकारी कर्मचारी (corrupt public servants) को परिस्थितिजन्य आधार पर अवैध रिश्वत के आरोप में दोषी ठहराया जा सकता है। ये पूरी तरह न्यायसंगत ही होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बातइस मामले पपर आगे सुप्रीम कोर्ट की पीठ का ये कहना है कि मृत्यु या अन्य कारणों से शिकायतकर्ता का प्रत्यक्ष साक्ष्य भले ही उपलब्ध न हो इसके बावजूद कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत लोक सेवक यानि कि सरकारी कर्मचारी को दोषी ठहराया जा सकता है। मामले के जस्टिस एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रह्मण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना भी शामिल हैं।आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पीठ ने कहा कि भ्रष्टाचार के उन मामलों में, जिनमें लोक सेवक आरोपी हो, तो शिकायतकर्ताओं और अभियोजन पक्ष को ईमानदारी से प्रयास करना चाहिए कि भ्रष्ट लोक सेवक दंडित हों। जिससे कि प्रशासन से भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सके। शासन को प्रभावित करने में भ्रष्टाचार की भूमिका केवल इतना ही नही पीठ ने ये टिप्पणी दी है कि शासन को प्रभावित करने में भ्रष्टाचार (corruption in India) की बड़ी भूमिका रहती है। इसके कारण ईमानदार कर्मचारी का मनोबल भी कम होता है। मामले में सुनवाई के दौरान अदालत ने एबी भास्कर राव बनाम सीबीआई के फैसले का उदाहरण भी दिया। मामले में फैसला देते हुए पीठ ने कहा कि प्रतिवादी की मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता कि मामले में उदारता दिखाई जाए। लोक सेवकों द्वारा भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या बन गया है। भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर राष्ट्र के विकास की गतिविधियों को धीमा कर देता है। इसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ता है।अब ये तो गौरतलब है कि साल 2019 में 3 जजों की पीठ ने इस मामले को संविधान पीठ के सपुर्द करने के लिए चीफ जस्टिस को भेजा था। 3 जजों की पीठ ने कहा था कि मामले में 2015 के शीर्ष कोर्ट के फैसले में इस बारे में असंगति है। उस फैसले में कहा गया था कि यदि लोकसेवक के खिलाफ प्राथमिक सबूत की कमी है तो उसे बरी होना चाहिए।

पूर्व विधायक का कारनामा, कब्रिस्तान की जमीन करवा ली रजिस्ट्री, कलेक्टर क़े आदेश पर नामांतरण किया शून्य

बिलासपुर। कांग्रेस के पूर्व विधायक मोहित राम केरकेट्टा के द्वारा चर्च ऑफ क्राईष्ट के नाम दर्ज 1 एकड़ कब्रिस्तान भूमि को अपने नाम पर रजिस्ट्री करवा ली गई थी। कलेक्टर अवनीश शरण ने शिकायत मिलने पर पुनर्विलोकन करवा नामांतरण रद्द करवा दिया है। बेशकीमती जमीन वापस चर्च के नाम दर्ज की गई हैं।

कुदुदंड पटवारी हल्का नंबर 34 तहसील व जिला बिलासपुर में स्थित भूमि खसरा नंबर 296/1, रकबा 0.405 हेक्टेयर (1 एकड़) को पाली– तानाखार विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक रहे मोहित राम केरकेट्टा और उनके पुत्र शंकर राम केरकेट्टा के द्वारा रजिस्ट्री करवा ली गई थी। इस जमीन की रजिस्ट्री 16 दिसंबर 2021 को 99 लाख 22 हजार 500 रुपए में करवाते हुए कांग्रेस के तत्कालीन विधायक ने अपने और पुत्र के नाम करवा ली थी। इसके बाद 9 फरवरी 2022 को नामांतरण विधायक और उनके पुत्र के नाम कर दिया गया। जबकि यह जमीन चर्च ऑफ क्राईष्ट के नाम कब्रिस्तान हेतु दर्ज थी।

कलेक्टर अवनीश शरण को इस मामले में नियम विरुद्ध रजिस्ट्री और नामांतरण करवा कब्रिस्तान की एक एकड़ जमीन हड़पने की शिकायत प्राप्त हुई थीं। उक्त शिकायत को संज्ञान में लेकर पुनर्विलोकन के निर्देश दिए गए थे। जिस पर एसडीम बिलासपुर के द्वारा धारा 51 के तहत पुनर्विलोकन किया गया। जिस पर मोहित केरकेट्टा के पुत्र शंकर केरकेट्टा के द्वारा अधिवक्ता के माध्यम से पुनर्विलोकन पर आपत्ति पेश की गई कि आवेदित भूमि खसरा नंबर 296/1 खुली पड़त भूमि है, यह कब्रिस्तान की भूमि नहीं रही जो खसरा पंचशाला वर्ष 1993– 94 से 1996– 97 एवं बी–1 किश्तबंदी खतौनी में स्पष्ट रूप से दर्शित है। जबकि वास्तव में कब्रिस्तान की भूमि खसरा नंबर 296/2 रही है। पर दोस्तों भेजो क्या अवलोकन के पश्चात इसका नामांतरण शून्य कर उक्त वाद भूमि को राजस्व अभिलेखों में चर्च ऑफ क्राईष्ट मिशन इन इंडिया कुदुदंड के नाम पर वापस दर्ज किया गया है।

बता दे कि उक्त जमीन बेशकीमती हैं। जिसका वर्तमान बाजार मूल्य करोड़ो में है जिसे कांग्रेस के पूर्व विधायक ने अपने और पुत्र के नाम मात्र 99 लाख रुपए में रजिस्ट्री करवा लिया गया था। अब नामांतरण रद्द कर दिया गया है। वही चर्च ऑफ क्राईष्ट मिशन इन इंडिया के प्रशासक के रूप में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बिलासपुर को 20 सितंबर 2024 को कलेक्टर अवनीश शरण ने प्रशासक नियुक्त किया है।

बता दे कि मोहित राम केरकेट्टा किसान कांग्रेस कोरबा के जिला अध्यक्ष थे। 2018 में पाली– तानाखार सीट से कांग्रेस की टिकट चुनाव लड़ कर पहली बार विधायक बने थे। मोहित राम को कांग्रेस सरकार ने मुख्यमंत्री अधोसंरचना उन्नयन और विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया था। उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा हासिल था। 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया था। जिसके बाद उन्होंने नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत पर टिकट कटवाने का आरोप लगाया था। चुनाव में कांग्रेस सरकार की पराजय के बाद कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।