सड़कों में भ्रष्टाचार का मुख्य जड़ है, रायपुर RTO ।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (RTO) बैरियर से हो रही अवैध वसूली साथ ही वसूली के लिए RTO द्वारा नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं, जिस पर RTO द्वारा सड़कों में चलने वाली निजी वाहन ट्रक, हाईवा, ट्रेलर जैसे वाहनों को फर्जी चेक पॉइंट लगाकर अवैध रूप से बिना प्रभारी अधिकारी के प्रधान आरक्षक कर रहे वसूली ।

संरक्षण देने वाले प्रभारी अधिकारी व आरटीओ आयुक्त रायपुर भी है शामिल ।

इस सड़कों में फैले भ्रष्टाचार को देखने व कवरेज करने के लिए छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट से सह-संपादक राहुल मिश्रा और हंगामा न्यूज़ से निकिता ने कोलकाता – मुंबई नेशनल हाईवे 53 पर आकस्मिक न्यूज़ बनाने का निर्णय लिया ।

जब नेशनल हाईवे 53 पर गये तो वहां हम लोगों ने देखा की चेकप्वाइंट लगाकर ट्रक ड्राइवर से अवैध रूप से वसूली की जा रही थी किसी से ₹1000 रुपए तो किसी से ₹2000 लिए जा रहे थे, साथ ही एक सामान्य से पेपर में एक दिनांक व हस्ताक्षर कर ड्राइवर को दिया जा रहा था जिससे उन्हें आगे किसी प्रकार के किसी भी चेक पॉइंट पर ना रोका जाये ।

आखिर यह छोटी सी पर्ची क्या है ?

इसके बारे में जानने की इच्छा लिये हंगामा टीवी से निकिता ने जाकर प्रधान आरक्षक यादव जी से सवाल किया तो यादव जी ने सवाल का जवाब ना देते हुये हर बात पर सिर्फ बातों को घूमने का प्रयास किया ।

सवाल यह बनता है, कि चेक पॉइंट की अनुमति किसने दी और बिना प्रभारी अधिकारी के चलान कैसे काटी जा रहे हैं ?
आखिर इस भ्रष्टाचार में संरक्षण किस नेता, किस मंत्री, किस आयुक्त और किस अधिकारी का है ?

ट्रक ड्राइवर द्वारा वीडियो के सामने आकर बताया गया कि किस प्रकार से चेक पॉइंट लगाकर बिना चालान 1000 रुपए प्रधान आरक्षक द्वारा लिया गया एवं साथ ही प्रधान आरक्षक द्वारा आने जाने वाली गाड़ियां जिनसे उनका कमीशन बंधा हुआ है, उन गाड़ियों को बिना जांच किया छोड़ दिया गया ।

उपमुख्यमंत्री अरूण साव का कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला, कहा की बांटने और झूठ बोलने की आदत हमेशा कांग्रेस पार्टी की रही है, इसीलिए आज कांग्रेस हाशिए पर…

रायपुर। छत्तीसगढ़ में उपचुनाव नजदीक है और बहुत जल्द नगरीय निकाय चुनाव का भी आगाज होने वाला है। इस बीच आज छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरूण साव ने कांग्रेस पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए तीखा हमला किया है, उनका कहना है कि कांग्रेस पार्टी कभी भी अपनी किसी बात पर कायम नही रहती , राजनीतिक लाभ और नुकसान को ध्यान में रखते हुए कभी कुछ बोलेंगे तो कभी कुछ , देश के लोगों में भ्रम फैलाना झूठ बोलना हमेशा इनकी आदत रही है और देश की जनता कांग्रेस की राजनीति को बखूबी समझ रही है। इसीलिए कांग्रेस पार्टी हाशिए पर जा रही है।

उन्होंने कहा कि पूरा देश जानता है की देश को बांटने का काम किसने किया है, देश के विभाजन का दोषी कौन है। इस प्रकार के लोगों के बीच विभाजन करके देश को कमज़ोर करने का काम हमेशा कांग्रेस पार्टी ने किया। अपने वोटों और राजनीति के खातिर वर्गों, जातियों में बांटने का काम हमेशा कांग्रेस ने किया है और आज भी उनकी यही राजनीति चल रही है।

महापौर Aijaz Dhebar ऐसा गजब तो न करें ! दीपावली पर तो गरीबों को माफ करें !

महापौर Aijaz Dhebar ऐसा गजब तो न करें!
दीपावली पर तो गरीबों को माफ करें !😥

दीपावली के पावन अवसर पर हर सनातनी का घर प्रकाशमय होता है,घर घर दीपक जलता है! इस मौके पर गरीब तबके का श्रमजीवी आदमी भी सोचता है कि वह भी प्रभु राम के आगमन का पर्व दीपावली खुशियों के साथ मना ले! इसके लिए वह ईमानदारी के साथ दो पैसे कमाने की जुगत में लगा रहता है।
हम देखते हैं कि त्योहार के आसपास सड़क किनारे रंगोली,दिया बाती,झाड़ू, धानझालर,फल,लाई,मुर्रा,पूजन सामग्री आदि बेचने वाले अपनी चारदिनी दुकान सजा लेते है। उनकी मंशा यही रहती है कि त्योहार के चलते चार पैसे कमाकर अपनी दिवाली भी अच्छे से मना ले! प्रभु राम की आगमन पर अपने घर के दरवाजे पर दीपक जला ले!

परंतु आज रायपुर में मुझे जो दृश्य देखने को मिला हुआ बेहद ही दुखद था। मुझे महापौर एजाज ढेबर जी के नेतृत्व वाली कांग्रेस शासित नगर निगम रायपुर का रवैया इन गरीबों के प्रति बेहद ही असंवेदनशील दिखा। हुआ यू की मैं डंगनिया चौक के पास पूजन सामग्री लेते खड़ा हुआ था। उसी वक्त नगर निगम की एक गाड़ी पास में रुकी! उस गाड़ी से उतरे चार-पांच लोगों ने दुकानदारों को धमकाना शुरू कर दिया और कहा सब का 5- 5 हजार फाइन लगेगा। यह सुनकर दुकानदारों ने हाथ जोड़े कहा ऐसा मत करो साहब…फिर पता नहीं किनारे क्या बातचीत हुई वे चले गए!
मैंने दुकानदार से पूछा कि कितना फाइन काटा है? तो उसने कहा थोड़ा निवेदन किया है! इसलिए अभी रसीद नहीं काटे है! थोड़ी देर में आते हैं कह कर गए हैं। पैसे तो लेकर जाएंगे ही। गलती हमारी ही है जो त्योहार में चार पैसे कमाने के लालच में परिवार के साथ दुकान सजा लेते है! 😥

उसकी बातें सुनकर मैं असहज हो गया! बहुत पीड़ा हुई! मैने तुरंत ही सांसद Brijmohan Agrawal जी के विशेष सहायक Manoj Shukla जी को फोन लगाकर इस संबंध में जानकारी दी और आग्रह किया कि महापौर एजाज ढेबर ,कमिश्नर से बात करके कम से कम दीपावली के अवसर और गरीबों पर जुर्माना न लगाने तथा निगम कर्मचारियों को अवैध वसूली न करने की सख्त हिदायत भी दे!
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बंजारी वाले हजरत के उर्स मे आने की दावत दी गई मुख्यमंत्री जी को ।

💐बंजारी वाले हजरत के उर्स मे आने की दावत दी गई मुख्यमंत्री जी को💐आज रात मुख्यमंत्री निवास मै माननीय मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी से सौजन्य भेंट कर हजरत सैय्यद शेर अली आगा र अ रायपुर के 43 वे उर्स पाक 26 अक्टूबर से 1 नवंबर तक मनाया जाएगा जिसमें प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री जी को दरगाह ट्रस्ट व सज्जादा नशीन नईम अशरफी रिजवी साहब, मिर्ज़ा एजाज बेग, राहिल रउफ़ी, इशराक रिजवी,मो कासम, शेख अफसर ने दावत नामा दिया उर्स शरीफ मै आने का जिसे माननीय मुख्यमंत्री जी ने दावत नामा स्वीकार किया !

सरकारी कर्मचारियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, अब सबूत की जरूरत नहीं-सुप्रीम कोर्ट हाल ही में एक गंभीर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना एक अहत फैसला सुनाया है ।

#सरकारी कर्मचारियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, अब सबूत की जरूरत नहीं-सुप्रीम कोर्ट हाल ही में एक गंभीर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना एक अहत फैसला सुनाया है। सरकारी कर्मचारियों के लिए कोर्ट का ये फैसला काफी जरूरी फैसला है। कोर्ट के इस फैसले के मुताबिक चल रहे इस मुद्दे पर अब सबूत की जरूरत नहीं पड़ने वाली है। आइए आप भी नीचे खबर में विस्तार से जान लें कि आखिर क्या है ये पूरा मामला और सुप्रीम कोर्ट ने इस पर क्या विशेष टिप्पणी दी है। supreme court -सरकारी कर्मचारियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, अब सबूत की जरूरत नहीं देश के कर्मचारियों से संबंधित एक मामला हाल ही में सामने आ रहा है जिस पर कि सर्वोच्च न्यायलय (supreme court ) की ओर से एक अहम फैसला सुनाया गया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की ओर से भ्रष्टाचार पर चल रहे एक मामले पर जजमेंट पास किया गया है। इस मामले के तहत जस्टिस एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि किसी सरकारी कर्मचारी को भ्रष्टाचार विरोधी कानून के तहत दोषी ठहराने के लिए प्रत्यक्ष सबूत होना अनिवार्य नहीं है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को कानून के कटघरे में लाने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने की बात पर गौर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार के एक मामले में सरकारी कर्मचारी (corrupt public servants) को परिस्थितिजन्य आधार पर अवैध रिश्वत के आरोप में दोषी ठहराया जा सकता है। ये पूरी तरह न्यायसंगत ही होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बातइस मामले पपर आगे सुप्रीम कोर्ट की पीठ का ये कहना है कि मृत्यु या अन्य कारणों से शिकायतकर्ता का प्रत्यक्ष साक्ष्य भले ही उपलब्ध न हो इसके बावजूद कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत लोक सेवक यानि कि सरकारी कर्मचारी को दोषी ठहराया जा सकता है। मामले के जस्टिस एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रह्मण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना भी शामिल हैं।आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पीठ ने कहा कि भ्रष्टाचार के उन मामलों में, जिनमें लोक सेवक आरोपी हो, तो शिकायतकर्ताओं और अभियोजन पक्ष को ईमानदारी से प्रयास करना चाहिए कि भ्रष्ट लोक सेवक दंडित हों। जिससे कि प्रशासन से भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सके। शासन को प्रभावित करने में भ्रष्टाचार की भूमिका केवल इतना ही नही पीठ ने ये टिप्पणी दी है कि शासन को प्रभावित करने में भ्रष्टाचार (corruption in India) की बड़ी भूमिका रहती है। इसके कारण ईमानदार कर्मचारी का मनोबल भी कम होता है। मामले में सुनवाई के दौरान अदालत ने एबी भास्कर राव बनाम सीबीआई के फैसले का उदाहरण भी दिया। मामले में फैसला देते हुए पीठ ने कहा कि प्रतिवादी की मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता कि मामले में उदारता दिखाई जाए। लोक सेवकों द्वारा भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या बन गया है। भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर राष्ट्र के विकास की गतिविधियों को धीमा कर देता है। इसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ता है।अब ये तो गौरतलब है कि साल 2019 में 3 जजों की पीठ ने इस मामले को संविधान पीठ के सपुर्द करने के लिए चीफ जस्टिस को भेजा था। 3 जजों की पीठ ने कहा था कि मामले में 2015 के शीर्ष कोर्ट के फैसले में इस बारे में असंगति है। उस फैसले में कहा गया था कि यदि लोकसेवक के खिलाफ प्राथमिक सबूत की कमी है तो उसे बरी होना चाहिए।