प्राची पांडे , प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ एकलव्य विद्यालय अतिथि शिक्षक संघ, ने बताया कि आवासीय एकलव्य विद्यालय में कार्यरत अतिथि शिक्षक अपनी दो सूत्रीय मांग तथा वर्तमान एवं पूर्व अतिथि शिक्षकों को यथावत रखे जाने को लेकर 8 जुलाई 2024 सोमवार से तुता नवा रायपुर में अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन करेंगे।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में आदिम जाति कल्याण विभाग अंतर्गत 74 आवासीय एकलव्य विद्यालय संचालित है | इसमें अध्यापन कार्य हेतु 630 अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति राज्य सरकार ने 2017 से प्रारंभ की है । केंद्र सरकार द्वारा नियमित भर्ती होने से ये अतिथि शिक्षक बेरोजगार हो गए है | 630 अतिथि शिक्षकों को यथावत रखे जाने हेतु प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री एवं विभागीय मंत्री से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से अवगत कराया परन्तु किसी प्रकार की समाधान न हो सकी । जिससे अतिथि शिक्षक आक्रोशित है ।
श्री प्रशांत कश्यप ( प्रदेश उपाध्यक्ष ) ने कहा कि बेरोजगार होने से आर्थिक एवं मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
महासमुंद के भलेसर गांव में रहने वाला शिव कुमार तांडेकर एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है लेकिन मामला आधे गांव के लोगो का है जिनका नाम सर्वे सूची से गायब कर दिया गया गांव के लोगो के साथ शिव कुमार भी अपना गुजारा यू ही चला रहा था लेकिन एक रोड एक्सीडेंट में 8 साल पहले शरीर में चोट आने की वजह से रीड की हड्डी टूट गई और शिव कुमार विल चेयर पर आ गया दो बच्चो का लालन पालन करना अब दुर्भर हो चला है , घर की हालत दिन ब दिन खस्ता होती चली गई ऐसे में शिव कुमार ने कलेक्टर से मदद के लिए चार साल से विल चेयर के सहारे घूम रहा है दिव्यांग होने के बावजूद न सरकारी सुविधाएं प्राप्त कर सका न प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ ही प्राप्त हुआ , मामला तब तुल पकड़ा जब शिव कुमार को ये मालूम हुआ की गांव के सर्वे सूची से नाम ही गायब है सवाल यही उठता है की गांव के कई परिवारों के नाम सर्वे सूची से गायब है जिसके वजह से शासन द्वारा चलाए जा रहे तमाम तरह की योजनाओं से कई लोग वंचित हो जा रहे है ऐसे में शिव कुमार ने मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगाई है । आंगनबाड़ी कार्यकर्ता या अधिकारियों ने आज तक सुध क्यों नहीं ली , शिव कुमार ने विधायक से भी मुलाकात कर अपनी समस्या बताई इस के बावजूद भी जनप्रतिनिधि ने भी किसी तरह की मदद का आश्वासन नही दिया , ऐसे में अपने घर का भरण पोषण करने में असक्षम शिव कुमार क्या करे , सरकारी दावे की पोल खुलता हुआ दिखाई दे रहा है मामला।
आवास से छूटे लाभार्थियों के लिये मुख्यमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जाना है जिसमे आवास का लक्ष्य आने के बाद गांव गांव में दिव्यांग, निराश्रित बेसहारा महिलाएं, दैवीय आपदा से प्रभावित लोग , गंभीर बीमारी में पीड़ित वालो को लाभ देने जैसे कार्य है जिसके लिए आवास का सर्वे शुरू होना तय किया गया है , करीब तीन महीने से लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण नए काम और योजनाओं की घोषणा बंद थी। केन्द्र में नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में ही 3 करोड़ आवास जरूरतमंदों को देने की योजना पर काम शुरू होना तय हुआ है। इस सबके बीच मुख्यमंत्री आवास योजना की घोषणा ने सालों से इंतजार में बैठे जरूरमंदो की आस पूरी कर दी है। दिव्यांग के साथ – साथ ऐसी महिलाएं जिनके पति की मौत हो चुकी है और उम्र 18 से 40 साल के बीच है उनको भी आवास दिए जाएंगे। दैवीय आपदा व गंभीर बीमारी के शिकार परिवारों को भी पात्रता के बाद मुख्यमंत्री आवास योजना में शामिल किया जाएगा। महासमुंद भलेसर के खंड विकास अधिकारी की यह जिम्मेदारी बनती है की नए सर्वे सूची का कार्य आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री आवासों की गाइडलाइन सचिवों को बताते हुए पात्रों को प्रत्येक दशा में योजना से लाभान्वित कराने का निर्देश दिया जाए और अपात्र लाभार्थियों का संज्ञान ले ताकि शासन द्वारा योजनाओं का लाभ मिल सके और होने वाली असुविधाओं से गरीब गरीबी से जूझ रहे परिवारों को बाहर निकालने में मदद कर सके ।
आम नागरिकों को सरकार की ओर से चलायी जा रही विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ सुगमतापूर्वक उन तक पहुंचाने के लिए सर्वे सूची का तैयार करवाना नए सिरे से जरूरी है । जिला और प्रखंड स्तर के सभी पदाधिकारी के अलावा जनप्रतिनिधि स्वयं उनके प्रखंडों में आकर योजनाओं से उन्हें लाभान्वित होने के लिए प्रेरित कर सकते है जिस से गांव के अन्य घरों को शासन की योजनाओं के लिए उदासीनता का माहौल न रहे । सरकार की जितनी भी योजनाएं लागू होती हैं उसका पूरा-पूरा लाभ आमजनों तक नहीं पहुंच पाता है। अगर पंचायती राज सिस्टम अच्छे से कार्य करेंगे तो ज्यादा से ज्यादा लोग सरकार के द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित हो सकेंगे , बात सिर्फ एक गांव के एक शिव कुमार की ही नही है ऐसे कई दिव्यांग , निराश्रित और बेघर घूम रहे कई ऐसे लाभार्थी है जिन्हे आज तक शासन के द्वारा चलाए जा रही योजनाओं का लाभ ही नही मिला है ऐसे ये अधिकारियों की लापरवाही है की अपने काम को सही तरीके से न करने की वजह से गरीब मरने की स्थिति में पहुंच गए है लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई भी नही , शिव कुमार पहले स्वस्थ था , लेकिन एक एक्सीडेंट ने उस से उसकी जिंदगी का सुख छीन लिया , आज वह दिव्यांगो की श्रेणी में आ चुका है , घर की हालत जर्जर हो चुकी है और बारिश के मौसम ने दस्तक देना शुरू कर दिया है ऐसे में यदि कोई अप्रिय घटना घटित हो जाए तो वह क्या करे , घर का गुजारा पत्नी के द्वारा चल रहा है ऐसे में अब शिव कुमार ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखा है , पोस्ट द्वारा अपनी समस्या मुख्यमंत्री तक भेजी है , ऐसे में देखना यही है की क्या पत्र मुख्यमंत्री तक पहुंचता है भी या नहीं , एक दिव्यांग अपनी बात मुख्यमंत्री तक कैसे पहुंचाए ?
छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार और छत्तीसगढ़ नाव के डायरेक्टर सत्यजीत घोष पर जानलेवा हमला । रायगढ़ में पत्रकार सुरक्षित नहीं तो आम जनता कैसे सुरक्षित होगी । आज एक पत्रकार के साथ घटना हुई है कल आम इंसान के साथ या घटना होगी पुलिस वालों का पूरे घटना से अंजन रहना कुछ समझ नहीं आ रहा कैसे हो सकता है पुलिस प्रशासन किसी दबाव में आकर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही ना करें । आज एक पत्रकार के साथ घटना घटी है कल को इस तरीके की वारदात और भी बढ़ सकता है क्योंकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों का ऊपर आये दिन किसी न किसी प्रकार का जानलेवा हमला किया जाता है और पूरे मामले में पुलिस प्रशासन सिर्फ लीपा-पोती कर अपराधियों को संरक्षण देते हुए खुलेआम घूमने की आजादी प्रदान करती है । नतीजतन इस प्रकार की घटनाएं जो की आज रायगढ़ में पत्रकार सत्यजीत घोष के साथ हुआ है रायगढ़ प्रेस क्लब ने इस घटना की कड़ी निंदा की है इस संदर्भ में ।
रायपुर छत्तीसगढ़ के कुछ पत्रकार भाइयों ने मिलकर सत्यजीत घोष से बातचीत किया एवं उनसे घटना के बारे में पूरी जानकारी ली ।
घटना की जानकारी देते हुए सत्यजीत घोष ने बताया कि उनके ऊपर हमला सोच समझकर सुन नियंत्रित ढंग से करवाया गया है और रायगढ़ पुलिस ने अभी तक इस घटना में घटना को अंजाम देने वाले दो अपराधियों को अपने गिरफ्त में लेकर पूछताछ कर रही है ।
आगे पुलिस की कार्यवाही चल रही है जिसका अपडेट आपको आने वाले समय में अगले भाग पर दिया जाएगा————————————————
राहुल मिश्रा RTI व सामाजिक कार्यकर्ता हूँ, मेरे द्वारा एक शिकायत जो की छत्तीसगढ़ राज्य मे हो रहे स्टांप फ्रॉड से जुड़ा हैं जो बड़े-बड़े बैंकों एवं NBFC कंपनियों द्वारा छत्तीसगढ़ शासन के साथ किया जा रहा है, इसके शिकायत जिला दड़ाअधिकारी महोदय को तकरीबन 8 महीने से निरंतर हर माह किया जा रहा है परंतु जिला दड़ाअधिकारी द्वारा स्टंप फ्रॉड के किसी भी मुद्दे पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की है जिस कारण मजबूरन मेरे द्वारा रायपुर पुलिस महानिदेशक, पुलिस महान निरीक्षक, गृह-मंत्री, एंटी करप्शन ब्यूरो एवं अन्य संबंधित जगहों पर पुलिस अधीक्षक एवं जिला कलेक्टर के नाम का शिकायत दिया गया परंतु अभी भी जिला कलेक्टर रायपुर द्वारा किसी प्रकार का कोई भी स्टांप फ्रॉड पर कार्यवाही नहीं किया गया है जिसके नाम से 2 जून 2024 को राजभवन का घेराव करते हुए एक ज्ञापन राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन जी के नाम का स्टांप फ्रॉड की पूरी जानकारी के साथ राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन महोदय जी को दिया जाएगा ।
राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन महोदय जी को एक शिकायत बैंकों व NBFC कंपनी द्वारा षड्यंत्र कर लोगों को कर्ज के दलदल में धकेलना के बाद आपराधिक गतिविधि कर डरा धमका कर, अश्लील मैसेज भेज कर और यह सब की शिकायत यदि जनसाधारण व्यक्ति थाने पुलिस चौकी में जाता है तो उसकी शिकायत नहीं सुनने के संदर्भ में शिकायत हेतु आप तक प्रस्तुत ।
समाज मे बढ़ रहे अपराध का कारण कर्ज़ ही हैं और बैंक , NBFC संस्था के साथ मिलकर प्रशासन अप्रत्यक्ष रूप से अपराध को बढ़ावा दे रहा हैं ।
भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी नेता, अधिकारी
इन भ्रष्टाचारी नेताओं ने अपने फायदे के लिए भारतीय संविधान को अपने हिसाब से ढाला हैं ।
महोदय जी छत्तीसगढ़ में अभी भी बहुत सारे गांव ऐसे हैं जहां साहूकारों ने कुछ पैसे देकर लोगों के जमीन को बंधक बना लिया है लोगों द्वारा खेती करवा कर उस पर पैदा होने वाले अनाज पर साहूकार अपना हक जताते हैं और बेचारे गरीब बेबस किसानों पर अत्याचार करते हैं इसकी जानकारी प्रशासन में सबको है पर जानबूझकर कोई अधिकारी इस पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं करता है ।
यदि मैं प्रमाण दूं तो क्या राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन महोदय जी एवं प्रशासन दो दिवस के भीतर उन गरीब बेबस किसानों का जमीन का पेपर (पट्टा) वापस कर उन्हें राहत पहुंचाएगे ।
यदि ऐसे गांव के सीधे-साधे किसानों को प्रशासन कोई लाभ नहीं पहुंचाएगा तो उनके पास नक्सलवाद ज्वाइन करने के सिवा क्या कोई अन्य रास्ता है और यहीं से गांव के सीधे-साधे भोले भाले लोगों के मन में आत्महत्या ,अपराध व नक्सलवाद का विचार उत्पन्न होता है ।
महोदय जी इन गाँव के सीघे- साधे लोगो की मदद कर इन्हे स्वाभिमान से जीने का मार्ग प्रदान करे ।
महोदय जी मेरे द्वारा छत्तीसगढ़ में चल रहे हैं स्टांप फ्रॉड पर जिला दंडाअधिकारी, जिला पुलिस अधीक्षक, पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक, गृह मंत्रीछत्तीसगढ़, प्रधानमंत्री शिकयात पोर्टल सभी को शिकायत दिया गया है परंतु अभी तक मेरे शिकायत पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई है कार्यवाही न करने का जिम्मेदार कौन हैं । बैंकों एवं NBFC संस्थाओं द्वारा किए जा रहे अपराध पर जनसाधारण की शिकायत ना ही पुलिस थाने ना ही पुलिस अधीक्षक ना ही जिला कलेक्टर कार्यालय में सुनी जाती है जिस संबंध में ज्ञापन राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन महोदय जी को सौप जाएगा और तत्काल रूप से कार्यवाही करने के लिए प्रार्थना की जाएगी
होम लोन व बंधक लोन :- श्रीमान जी से निवेदन करता हूं, कि होम लोन या बंधक संपत्ति पर अपराधी गतिविधि करते हुए झूठी जानकारी देकर सरफेसी एक्ट 2002 लगाकर बैंक व NBFC कंपनी वाले जनसाधारण लोगों की संपत्ति को (हड़पने का )कब्जा करने का कार्य किया जा रहा है । जिस पर आपसे निवेदन है, की तत्काल रूप से होम लोन या बंधक संपत्ति के संपूर्ण दस्तावेजों की सही जांच करने के बाद होम लोन पर सरफेसी एक्ट 2002 की कार्यवाही को किया जाए ।
साहूकारी :- महोदय जी छत्तीसगढ़ में अभी भी बहुत सारे गांव ऐसे हैं जहां साहूकारों ने कुछ पैसे देकर लोगों के जमीन को बंधक बना लिया है लोगों द्वारा खेती करवा कर उसे पर होने वाले अनाज पर साहूकार अपना हक जताते हैं और बेचारे गरीब बेबस किसानों पर अत्याचार करते हैं इसकी जानकारी प्रशासन में सबको है पर जानबूझकर कोई अधिकारी इस पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं करता है ।
यदि मैं प्रमाण दूं तो क्या राज्यपाल महोदय एवं प्रशासन दो दिवस के भीतर उन गरीब बेबस किसानों का जमीन का पेपर (पट्टा) वापस कर उन्हें राहत पहुंचाएगे ।
समूह लोन :- श्रीमान जी से निवेदन करता हूं, कि समूह लोन दे बैंक व NBFC कंपनी वाले जनसाधारण लोगों के साथ अपराधी गतिविधि करते हुए झूठी जानकारी देकर डरा धमका कर घर के सामानो को बैंक व NBFC कंपनी वाले उठा ले जाते हैं । जिस पर आपसे निवेदन है, की तत्काल रूप से समूह लोन वाली बैंक व NBFC कंपनी वालो पर कार्यवाही को किया जाए ।
मेरी मांग :-
1. आम जनता को सबसे पहले समानता का अधिकार दिया जाए।
2. आम जनता यदि थाने जाती है तो सबसे पहले थाने में आवेदन करता शिकायतकर्त्ता की शिकायत को सुना जाए ।
3. शिकायतकर्त्ता के शिकायत को पंजीबद्ध कार्यवाही की जाए ।
शिकायतकर्त्ता यदि थाने में शिकायत करता है और उसे शिकायत पर पुलिस वाले 24 घंटे के भीतर कार्रवाई नहीं करते हैं TI थाना प्रभारी समेत आरक्षित के ऊपर भी तत्काल रूप से कार्यवाही का आदेश आपके द्वारा प्रेषित किया जाए ।
4. बैंकों द्वारा आरबीआई ने जो गाइडलाइन बनाया है यदि उसका पालन नहीं किया जाता है तो शिकायतकर्त्ता तब तक लोन का भुगतान नहीं करेगा जब तक बैंक वाले इस पर लिखित जवाब ना दे —–
बैंक या NBFC कंपनी के रिकवरी एजेंट द्वारा जब तक अपना ID कार्ड ,DRA प्रमाण पत्र, पुलिस वेरिफिकेशन, होम विजिट लेटर जो 15 दिन पहले बैंक या संस्था द्वारा मुझे पोस्ट होना चाहिए जिसकी जानकारी जब तक नहीं दिया जाएगा तब तक किसी भी रिकवरी एजेंट को पेमेंट करने के लिए बाध्य नहीं रहेंगे ।
बैंकों से सवाल
यदि कोई व्यक्ति लोन लेता है तो बैंक द्वारा उसे व्यक्ति का केवाईसी डॉक्युमेंट्स आधार कार्ड पैन कार्ड लिया जाता है जिससे बैंकों को पता चलता है की उसे व्यक्ति की मासिक आय एवं सालाना आय क्या है ।
बैंक वाले आय से अधिक EMI का लोन किस प्रकार वितरण करते हैं ?
बैंकों द्वारा रिकवरी के लिए जो एजेंट रखे जाते हैं तो आरबीआई द्वारा एजेंट के लिए बनाए गए नियम कानून को क्यों पालन नहीं करते ?
भारत की अधिकतर जनसंख्या अपने क्षेत्रीय भाषा को जानती है और भारत में अधिकतर लोगों को अंग्रेजी नहीं आता पर बैंक वालों का एग्रीमेंट सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजी में क्यों बनाया जाता है आरबीआई द्वारा इसके ऊपर बनाए गए सभी गाइडलाइन को बैंक पालन क्यों नहीं करता है।
जिस प्रकार रिकवरी के लिए हम जनसाधारण लोगों के साथ रिकवरी एजेंट गाली गलौज मारपीट की हरकत करते हैं क्या इसी प्रकार की हरकत यह बड़े-बड़े उद्योगपति अडानी, अंबानी, मेहुल चौकसी, नीरो मोदी, विजय मालिया के साथ किया है तो उसका वीडियो फुटेज दे ।
यदि बैंकिंग सर्वर बंद होता है तो ग्राहक को किस प्रकार का लाभ बैंक पहुंचती है इसकी जानकारी दें ?
एटीएम खराब होने पर जनसाधारण को होने वाले परेशानी पर बैंक किस प्रकार का लाभ अपने ग्राहकों को प्रदान करती है ? इसकी जानकारी प्रदान करें ।
प्रार्थी अपनी शिकायत लेकर बैंक में जाता है तो बैंक वाले शिकायत लेने से मना क्यों करते हैं?
यदि बड़ी-बड़ी संस्था डूबती है, बैंक डूबते हैं तो उसे पर लिमिट क्यों सेट कर दिया जाता है ग्राहकों को एक बार में उनका पैसा क्यों नहीं दिया जाता ।