सीरत कमेटी के सदर पद पर सोहेल सेठी -पत्रकार इलियास हुसैन (इमरान )

Oplus_131072

रायपुर..शहर सीरतुन्नबी कमेटी(सदर चुनाव 2025)कल दिनांक 20/04/2025 को सीरत कम्युनिटी का बेहद अहम चुनाव होने जा रहा है।वोटिंग का समय: सुबह 9:00 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक रहेगा।आप सभी सदस्य से गुज़ारिश है कि अपना सीरत कम्युनिटी का मेम्बर कार्ड साथ लेकर आएं, बिना कार्ड के वोट डालने की अनुमति नहीं होगी।यह सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि हमारी सीरत कम्युनिटी के बेहतर भविष्य का फैसला है!आपका अपना भाई,मोहम्मद सोहेल सेठी(चुनाव चिन्ह – खजूर का पेड़)आप सब से दिल से दरख्वास्त है कि खजूर के पेड़ पर अपना कीमती वोट देकर मुझ पर अपना भरोसा जताएं और दुआओं से नवाज़ें।चलो मिलकर बनाएं अपनी कम्युनिटी को और मजबूत!आपका अपना,मोहम्मद सोहेल सेठीमो. 9425503792

सीरत कमेटी के सदर पद पर सोहेल सेठी. पत्रकार इलियास हुसैन (इमरान )

Oplus_131072

शहर सीरतुन्नबी कमेटी(सदर चुनाव 2025)कल दिनांक 20/04/2025 को सीरत कम्युनिटी का बेहद अहम चुनाव होने जा रहा है।वोटिंग का समय: सुबह 9:00 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक रहेगा।आप सभी सदस्य से गुज़ारिश है कि अपना सीरत कम्युनिटी का मेम्बर कार्ड साथ लेकर आएं, बिना कार्ड के वोट डालने की अनुमति नहीं होगी।यह सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि हमारी सीरत कम्युनिटी के बेहतर भविष्य का फैसला है!आपका अपना भाई,मोहम्मद सोहेल सेठी(चुनाव चिन्ह – खजूर का पेड़)आप सब से दिल से दरख्वास्त है कि खजूर के पेड़ पर अपना कीमती वोट देकर मुझ पर अपना भरोसा जताएं और दुआओं से नवाज़ें।चलो मिलकर बनाएं अपनी कम्युनिटी को और मजबूत!आपका अपना,मोहम्मद सोहेल सेठीमो. 9425503792

सीरत कमेटी के सदर पद सोहेल सेठी बदलेंगे सीरत कमेटी की सीरत और सूरत’- पत्रकार इलियास हुसैन (इमरान )

Oplus_131072

राजधानी रायपुर में इन दिनों सीरत कमेटी के आगामी चुनाव को लेकर जबरदस्त माहौल बना हुआ है। मुस्लिम समुदाय के बीच यह चुनाव बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि यह सिर्फ एक पद नहीं बल्कि समुदाय के विकास, नेतृत्व और भविष्य को दिशा देने वाला चुनाव होता है। इस बार सदर पद के लिए कई नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन इनमें सबसे अधिक चर्चा शहर के नामी बिजनेसमैन और समाजसेवी सोहैल सेठी की हो रही है, जिन्होंने हाल ही में अपना नामांकन दाखिल किया है।सोहैल सेठी कोई नया नाम नहीं हैं। रायपुर शहर की गली-गली में उनकी पहचान एक सफल व्यवसायी के साथ-साथ एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में है। उन्होंने बीते कई वर्षों में ना सिर्फ व्यापार में अपना नाम बनाया है, बल्कि समाज के जरूरतमंद वर्गों के लिए कई योजनाएं और सहायता अभियान चलाकर लोगों के दिलों में जगह बनाई है।मुस्लिम युवाओं के बीच सोहैल सेठी की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है। स्थानीय युवाओं का मानना है कि अब तक जितने भी सदर बने हैं, उन्होंने समुदाय की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास जरूर किया, लेकिन व्यापक बदलाव नहीं ला सके। “अब समय है कि हम ऐसे नेतृत्व को चुनें जो केवल पद के लिए नहीं, बल्कि कौम के लिए काम करे,” पत्रकार इलियास हुसैन (इमरान) से संवादाता के पूछने पर बताया की सोहैल सेठी में वह काबिलियत और सोच है जो सीरत कमेटी की ‘सीरत और सूरत’ दोनों बदल सकती है।सोहैल सेठी के समर्थकों का दावा है कि वे बीते वर्षों में युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई योजनाएं चला चुके हैं। उन्होंने स्किल डिवेलपमेंट, स्वरोजगार, और एजुकेशन जैसे क्षेत्रों में युवा मुस्लिमों को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है।सोहैल सेठी की सोच आधुनिक है, लेकिन वे अपने समुदाय की धार्मिक और सामाजिक मूल्यों के प्रति भी पूरी तरह समर्पित हैं। उन्होंने कहा, “सीरत कमेटी केवल एक संस्था नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है। ये जिम्मेदारी है हमारे बुज़ुर्गों के आदर्शों को निभाने की और युवाओं के सपनों को साकार करने की।”मुस्लिम समुदाय के बुजुर्ग भी इस बार बदलाव के पक्ष में नज़र आ रहे हैं। उनका कहना है कि सोहैल सेठी जैसे पढ़े-लिखे और दूरदर्शी सोच वाले व्यक्ति का नेतृत्व समुदाय को एक नई दिशा दे सकता है। वहीं महिलाएं भी उनके काम से प्रभावित नज़र आती हैं। “सोहैल भाई ने हर वर्ग के लोगों की सुनवाई की है। हमें भरोसा है कि वे महिलाओं और बच्चियों के लिए भी खास योजनाएं लाएंगे,” एक महिला मतदाता ने कहा।रायपुर की सीरत कमेटी के चुनाव को लेकर यह साफ हो चुका है कि इस बार मुकाबला सिर्फ चेहरों का नहीं, बल्कि सोच का भी है। जहां कुछ उम्मीदवार परंपरागत तरीके से प्रचार में जुटे हैं, वहीं सोहैल सेठी का फोकस संवाद, मुद्दों और योजनाओं पर है।चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, सोहैल सेठी की सक्रियता और जनसमर्थन बढ़ता दिख रहा है। अगर यह लहर इसी तरह जारी रही, तो ऐसा माना जा रहा है कि रायपुर की सीरत कमेटी को इस बार एक ऐसा नेतृत्व मिलेगा जो वाकई बदलाव की शुरुआत कर सकता है।

दीपका भू-विस्थापितों की हड़ताल को उमागोपाल कुमार का समर्थन, उठी न्याय की आवाज ।


दीपका, ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति द्वारा 16 अप्रैल 2025 को प्रस्तावित हड़ताल ने दीपका और आसपास के क्षेत्रों में एक नई हलचल पैदा कर दी है। यह हड़ताल एस.ई.सी.एल. की परियोजनाओं के लिए भू-अर्जन से विस्थापित समुदायों के रोजगार, मुआवजा, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन की अनसुनी माँगों को लेकर आयोजित की जा रही है। इस आंदोलन को और मजबूती देते हुए स्थानीय निवासी उमागोपाल कुमार ने एक समर्थन पत्र जारी कर समिति के साथ अपनी एकजुटता जताई है, जिसने लोगों में न्याय की उम्मीद जगा दी है।
उमागोपाल कुमार ने अपने समर्थन पत्र में लिखा, “एस.ई.सी.एल. की परियोजनाओं ने स्थानीय समुदायों से उनकी जमीन, आजीविका और पारंपरिक अधिकार छीन लिए, लेकिन बदले में उन्हें उचित पुनर्वास और रोजगार नहीं मिला। यह हड़ताल विस्थापितों की पीड़ा और उनके हक की पुकार है। मैं समिति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हूँ।” उनके इस कदम को क्षेत्रवासियों ने एक साहसी और प्रेरणादायक पहल बताया है।
समिति की माँगें स्पष्ट और कानून-सम्मत हैं। पहली माँग है कि भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 के तहत विस्थापितों को रोजगार, मुआवजा और बुनियादी सुविधाएँ दी जाएँ। समिति का कहना है कि कोल इंडिया की मौजूदा नीति इस कानून के सामने अप्रासंगिक है, और कोल बेयरिंग एरिया एक्ट, 1957 के तहत हुए अर्जन पर भी केन्द्रीय कानून लागू होना चाहिए। दूसरी माँग हाईकोर्ट के आदेश के पालन की है, जिसमें 2012 से पहले अर्जित भूमि के छोटे खातेदारों और अर्जन के बाद जन्मे युवाओं को रोजगार देने और रैखिक संबंध की शर्त हटाने की बात कही गई है।
स्थानीय लोगों में इस हड़ताल को लेकर उत्साह है। एक प्रभावित किसान ने कहा, “हमारी जमीन गई, लेकिन हमें न नौकरी मिली न सम्मान। यह हड़ताल हमारी आवाज को दिल्ली तक ले जाएगी।उमागोपाल कुमार के समर्थन ने इस आंदोलन को और बल दिया है। एक युवा ने बताया, “उमागोपाल” जी का साथ हमें हिम्मत देता है। यह सिर्फ हड़ताल नहीं, हमारे भविष्य की लड़ाई है।


16 अप्रैल की हड़ताल दीपका और आसपास के विस्थापित समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हो सकती है। यह न केवल उनकी अनसुनी माँगों को सामने लाएगी, बल्कि नीतिगत बदलाव की दिशा में भी एक बड़ा कदम हो सकती है।

उमागोपाल कुमार का समर्थन इस बात का प्रतीक है कि एकजुटता और साहस के साथ उठाई गई आवाज को अनदेखा करना मुश्किल है। अब सबकी नजर इस बात पर है कि यह हड़ताल विस्थापितों के लिए कितना बड़ा बदलाव ला पाएगी।